गैरहाज़िर कन्धे---- अरुण साहब अपने आपको भाग्यशाली मानते थे। कारण यह था कि उनके दोनो पुत्र आई.आई.टी. करने के बाद लगभग एक करोड़ रुपये का वेतन अमेरिका में प्राप्त कर रहे थे। अरुण साहब जब सेवा निवृत्त हुए तो उनकी इच्छा हुई कि उनका एक पुत्र भारत लौट आए और उनके साथ ही रहे ; परन्तु अमेरिका जाने के बाद कोई पुत्र भारत आने को तैयार नहीं हुआ, उल्टे उन्होंने अरुण साहब को अमेरिका आकर बसने की सलाह दी। अरुण साहब अपनी पत्नी भावना के साथ अमेरिका गये ; परन्तु उनका मन वहाँ पर बिल्कुल नहीं लगा और वे भारत लौट आए। दुर्भाग्य से अरुण साहब की पत्नी को लकवा हो गया और पत्नी पूर्णत: पति की सेवा पर निर्भर हो गई। प्रात: नित्यकर्म से लेकर खिलाने–पिलाने, दवाई देने आदि का सम्पूर्ण कार्य अरुण साहब के भरोसे पर था। पत्नी की जुबान भी लकवे के कारण चली गई थी। अरुण साहब पूर्ण निष्ठा और स्नेह से पति धर्म का निर्वहन कर रहे थे। एक रात्रि अरुण साहब ने दवाई वगैरह देकर भावना को सुलाया और स्वयं भी पास लगे हुए पलंग पर सोने चले गए। रात्रि के लगभग दो बजे हार्ट अटैक से अरुण साहब की मौत हो गई। पत्नी प्रात: 6 बजे जब जागी तो इन्त...
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